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”वरध तकत” खद क हम म स हर एक म मजद महन दवद पर कब पन क वकलप क रप म परसतत करत ह। जवन म कतन बर हम उन परसथतय क समन करत ह जनम दन वकलप अनकल और परतकल परसथतय क हत ह और उनम स एक क चनन क करय ह सह बलदन ह जत ह। हम परतबबत करन और धयन स सचन क लए सखन चहए क कस तरह सचच मरग क पलन कय जन चहए और उस चनव क परणम कय ह। अत म, हम अपन जवन म ”वरध तकत” क इकटठ करन और फल पद करन क जररत ह। इस परकर, हम एक बहत ह वछत खश परपत कर सकत ह।